A-291 मैं चाहता हूँ Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-291 मैं चाहता हूँ

Rating: 5.0

A-291 मैं चाहता हूँ 22.6.17- 10.32 AM

मैं चाहता हूँ, तुमको, तुमसे ज्यादा प्यार करूँ
हर लम्हा तेरे साथ रहूँ, खुल के इज़हार करूँ
तेरा एक एक पल मेरा हो, मैं इस्तेमाल करूँ
मेरी खुशियाँ तेरी हों, तेरे ग़म मैं निस्तार करूँ

तेरी मोहब्बत का नशा सा, जो छाने लगा है
तलब बढ़ गई है और दिल, मुस्कुराने लगा है
तुम मेरी हक़ीक़त हो, इससे कैसे इंकार करूँ
मैं चाहता हूँ, तुमको, तुमसे ज्यादा प्यार करूँ

तुमसे दूरी का ख़्वाब जब भी नज़र आता है
जमीं खिसकती जाती है मन भी घबराता है
डर के मारे डरता हूँ कि कैसे मैं इज़हार करूँ
मैं चाहता हूँ, तुमको, तुमसे ज्यादा प्यार करूँ



तेरी आने की आस तो अब भी लगाये बैठे हैं
तुझे पाने की तलब और बिन बुलाये बैठे हैं
विचारों के तरन्नुम का मैं कैसे इस्तेमाल करूँ
मैं चाहता हूँ, तुमको, तुमसे ज्यादा प्यार करूँ

Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"

A-291 मैं चाहता हूँ
Saturday, June 24, 2017
Topic(s) of this poem: love and friendship,relationship
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 24 June 2017

प्रेम की अद्वितीय अभिव्यक्ति- मैं चाहता हूँ, तुमको, तुमसे ज्यादा प्यार करूँ. बहुत सुंदर. धन्यवाद, मित्र.

1 0 Reply

Thanks again for keeping me inspired with you amazing feed back. Gogia

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