Anil Bhatti Poems

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1.
तनहाई (Tanhai)

तनहाई के समन्दर में डूब सा गया हूं मैं
ना जाने खुद को कहां खो बैठा हूं मैं
इस क़दर मार पड़ेगी तेरी ऐ ज़ालिम सोचा ना था
खुदी को तलाश्ता रहा और तुझसे जुदा हो गया हूं मैं
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