Meera Trivedi Poems

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Chah Rakhta Hai....

ये मन बावरा मेरा ना जाने कहाँ जाने की चाह रखता है …
छल्ला है वो जो रेगिस्तान में भी डूबने की चाह रखता है …

लोग कहेते है प्यार आग का दरिया है , पर ये दीवाना उस आग में भी तैरने की चाह
...

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