अपनी क़िस्मत को फिर बदल कर देखते हैं
आओ मुहब्बत को एक बार संभल कर देखते हैं
चाँद तारे फूल शबनम सब रखते हैं एक तरफ
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अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है
दिया है हुस्न मौला ने दिखाना भी ज़रूरी है
इशारा तो करो मुझको कभी अपनी निगाहों से
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फिर वही क़िस्सा सुनाना तो चाहिए
फिर वही सपना सजाना तो चाहिए
यूँ मशक़्क़त इश्क़ में करनी चाहिए
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