रंग में रंगने वाली।
साथ में हाथ मिलने वाली।
हर पल में होने वाली।
वातावरण की खुशबु हो तुम।
समुद्र की गहराई हो।
धरती की तरह वास्तविकता हो।
वायु की तरह जीवन की आवश्यता हो।
आसमान की तरह ओढ़नी हो तुम।
तुम ही बताओ
क्या यह अतिश्योक्ति है।
क्या यह जूठ है।
क्या वास्विकता से दूर है।
क्या तुम प्रशंशा योग्य नहीं।
तुम ही बताओ, तुम ही बताओ।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
bilkul ho............wah wah badiya kavita hai...10 Mai aapko meri kavita padhne ka nimantran deta hoon, thx.