तेरी याद Poem by Upendra Singh 'suman'

तेरी याद

तेरी याद

दर्द का दिल में तूफां उठाती रही.
याद तेरी सितम मुझ पे ढाती रही.

दूरियां तुमसे जितनी ही बढ़ती रहीं.
पास उतनी ही मेरे वो आती रही.

चाँद सा वो बदन गेसुओं की घटा.
दिल पे बिजली वो मेरे गिराती रही.

उसकी ज़ालिम अदाएं जो जेहन में थीं.
रात भर दिल पे खंजर चलातीं रहीं.

प्यार करना है आसां नहीं कुछ ‘सुमन’.
हिज़्र की हर घड़ी ये बताती रही.
उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’

Sunday, November 22, 2015
Topic(s) of this poem: love
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