तुमने मुझको क्या न दिया है.
सब कुछ मुझ पर वार दिया है.
मेरी दुनियाँ में आ करके,
मन के मोती बिखरा करके,
जीवन का श्रृंगार किया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................
सागर सी गहरी आँखों में,
नेह उर्मि के विश्वासों ने,
प्रेम का पारावार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................
मादक क्षण दे मधुमय पल दे.
स्वर्णिम सुखद धवल सा कल दे.
जीवन को विस्तार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................
मृदु भावों की गागर भर के.
अपना जीवन रस दे करके,
सपनों को साकार किया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................
मेरे सूनेपन में आकर,
मृदुल मंजु मधु प्यार लुटाकर,
तुमने मुझको तार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................
मेरे मादक मेरी आशा,
मृदुल विमल मंजुल मनभावन,
यौवन का उपहार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................
मन मधुबन में प्रीति जगाकर,
मुझको अपना मीत बनाकर.
अमृत का आगार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................
प्रेम समर्पण तेरा अनुपम,
जीवन अर्पण तन-मन अर्पण,
स्वंय को सहज विसार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................
हीरे-मोती से भर दी है,
तुमने मेरी खाली झोली.
मन-उपवन में पुष्प खिलाकर,
खुशिओं का संसार दिया है.
तुमने मुझको क्या न दिया है...................
उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’
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