राजनीति के घाघ खिलाड़ी Poem by Upendra Singh 'suman'

राजनीति के घाघ खिलाड़ी

Rating: 4.5

राजनीति के घाघ खिलाड़ी खेल रहे हैं खेला.
मीटिंग, रोड- शो, डिनर, लंच का मचा है रेलमरेला.
छल-प्रपंच, और दांव-पेंच सब लोकतंत्र पर भारी.
जोड़-तोड़ और सांठ-गांठ में शातिर बड़े जुआरी.
बहुरूपियों के बीच 'सुमन' भारत है मेरा अकेला.
राजनीति के घाघ खिलाड़ी खेल रहे हैं खेला.
- उ.सिं.'सुमन'

Tuesday, December 1, 2015
Topic(s) of this poem: politics
COMMENTS OF THE POEM
Arun Chauhan 05 December 2015

Real thing on Indian politics

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