गधा मूर्ख होता है! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! !
कौन करता ये बकवास? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ?
अरे, अक्ल के दुश्मनों
आदरणीय गधे जी का
मत करो उपहास.
गधा ढोता है
भारी-भारी गट्ठरों का भारी-भरकम भार
और ऊपर से
सहता है डंडों की असहनीय मार.
अगर नहीं सहता
और तुम्हारी तरह लड़ने को हो जाता तैयार
चला देता दुलत्ती का अचूक हथियार
तो फिर
होता खून-खराबा बढ़ता मौत का व्यापार.
मगर गधा ‘गनबोट डिप्लोमेसी’ वाले
‘अंकल सैम’ से कहीं अधिक समझदार है
वह प्रबुद्ध शुद्ध एवं शांति का मशीहा है
और समूची दुनिया के प्रति वफ़ादार है.
अगर सहिष्णुता/सहनशीलता के सन्दर्भ में बात करें
तो हर आदमी पर कुछ न कुछ उसका उधार है.
दुनियावालों!
जरा कान खोलकर सुन लो
ये समूची दुनियाँ गधों की कर्जदार है.
इनको देखो समझो और ख़ुद से पूछो
अपने देश और दुनियाँ के प्रति कौन कितना वफ़ादार है? ? ? ? ? ? ? ? ?
उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’
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nice poem sir g....right massage on intolerance...