हांफते-कांपते विधायक जी पीठ सहलाते हुए
दुम दबाके घर से बाहर भागे
और सुरक्षात्मक दूरी पर जाकर
करने लगे धमाके -
मेरे साथ तुम्हारा ये दुर्व्यवहार
विपक्ष का भयंकर षड्यंत्र है
अन्यथा,
पत्नियां कहाँ इतनी स्वंत्र हैं
खैर,
घर में क्या-क्या हुआ
ये तो मैं किसी से नहीं बताऊंगा,
परन्तु,
‘पुरूष आयोग’ के गठन की माँग
जरूर उठाऊँगा,
और पत्नियों को उनकी असली औकात बताऊंगा,
तब श्रीमती जी ने हवा में बेलन लहराते हुये
नहले पर दहला मारा
विधायक जी को धिक्कारा –
अरे, अक्ल के अंधे
विधायिका विधायक से बड़ी है.
तुम्हारी सरकार तुम्हारे सामने ही खड़ी है,
ख़बरदार!
अपने नाजायज़ सम्बन्धों को
एक झटके में तोड़ दो,
लोकतन्त्र में चुनी हुई सरकार एक ही होती है,
इसलिये दूसरी वाली को छोड़ दो.
वरना,
तुम जानते हो
सरकार के पास क़ानून का फंदा होता ही
और कानून का हाथ बहुत लम्बा होता है.
उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’
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patniyon ko unki aukaat bataane ke liye purush aayog kee maang karne waale vidhayak ji ko unki patni ne najayaz sambandhon ko le kar unko unki aukaat bata di. bahut badhiya rachna. अरे, अक्ल के अंधे विधायिका विधायक से बड़ी है. तुम्हारी सरकार तुम्हारे सामने ही खड़ी है,
शुक्रिया