नव वर्ष Poem by Upendra Singh 'suman'

नव वर्ष

Rating: 5.0

आशा अभिलाषा की अभिनव सुवास लिये,
नव वर्ष आया है नई-नई आस लिये.

वाद मधुर नाद मधुर क्रांति का निनाद मधुर,
कोकिल की कूक मधुर मेघ शंखनाद मधुर.
त्याग तमस कालखंड उर का उजास लिय,
नव वर्ष आया है नई-नई आस................


सत्य शांति क्रांति का अनुपम परिवेश लिये.
समृद्धि निधि स्वर्ग की प्रज्ञा अशेष लिये.
आन-मान स्वाभिमान हर्षोल्लास लिये,
नव वर्ष आया है नई-नई आस................

जन-मन की इच्छा का प्रतिनिधि जनतंत्र लिये,
वंचित मनुजता की रक्षा का तंत्र लिये.
दिन के अँधेरे में मन का प्रकास लिये,
नव वर्ष आया है नई-नई आस................

जागृति के गीत मधुर मधुमय संवाद लिये,
जन-मन के जीवन में पावन प्रभात लिये.
मुरझाये मुखड़ों पर दामिनी सा भास लिये,
नव वर्ष आया है नई-नई आस................

हँसता-विहँसता सा मेरा वो देश लिये,
गाँव-गाँव गली-गली प्रेम का संदेश लिए.
सेवा का भाव मधुर प्रीति की पिपास लिये,
नव वर्ष आया है नई-नई आस................

कण-कण ममें गीत मधुर सरगम की तान लिये.
जन-जन- के जीवन में नेह का उफान लिये.
पीड़ित मनुजता के जीवन में हास लिये,
नव वर्ष आया है नई-नई आस................

फागुन की मतवाली मादक बयार लिये,
बासंती झोकों में पिया का दुलार लिये.
जेठ की दुपहरी में शीतल मधुमास लिये,
नव वर्ष आया है नई-नई आस................

अम्माँ के आँचल की नेह भरी छाँव लिये,
यादों के मधुबन से पनघट की ठाँव लिये.
स्वर्णिम स्मृतियों का मणिमय आकाश लिये,
नव वर्ष आया है नई-नई आस................

उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’

Saturday, December 12, 2015
Topic(s) of this poem: new year
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 12 December 2015

नव वर्ष की पृष्ठभूमि में दिल को लुभाने वाला यह मधुर गीत हमसे शेयर करने के लिए धन्यवाद. त्याग तमस कालखंड उर का उजास लिये, नव वर्ष आया है नई-नई आस लिये.

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