आनलाइन प्यार (भोजपुरी) Poem by Upendra Singh 'suman'

आनलाइन प्यार (भोजपुरी)

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तोहसे आनलाइन करब हम त प्यार गोरी ना,
करबू केतनो तूं उपइया अब हज़ार गोरी ना.

दुनिया ई हो गइल अब ग्लोबल गाँव हो,
बच के गोरी जइबू बतावा कवनीं ठांव हो.
करब तोहसे हम त अँखिया दू-चार गोरी ना,
तोहसे आनलाइन करब.........................

चैटिंग करब तोहसे सैटिंग भिड़ाइब,
मान-मनुहार करब नैना लड़ाइब.
दिल से दिल पे होई वार धमकादार गोरी ना,
तोहसे आनलाइन करब.........................

फेसबुक में तोहके हम रचि-रचि सजाइब,
अपने सपनवां कय दुनियाँ बसाइब.
कईसे देबू अब तूं हमके नकार गोरी ना,
तोहसे आनलाइन करब.........................

करब सनम तोहके रोज-रोज ट्वीट हो,
मैसेज भेजब गोरी हम स्वीट-स्वीट हो.
जोड़ब तोहसे हम नेहिया कय तार गोरी ना,
तोहसे आनलाइन करब.........................

सात समुन्दर कय दूरी झट मिटाइब,
दिल के मंदिरवा तोहके हो बिठाइब.
तोरब तोहरी खातिर हम त पहाड़ गोरी ना,
तोहसे आनलाइन करब.........................

हॉट लाईन लन्दन से तोहके लगाइब,
मनवां कय बतिया सारी तोहके बताइब.
हम त डूबब तोहरे प्यार के मझधार गोरी ना,
तोहसे आनलाइन करब.........................

लड़बंय सगरी हम लड़ईया आर-पार गोरी ना.
करबू केतनो तूं उपइया अब हज़ार गोरी ना.
जीति लेबंय हम तोहर ऐतबार गोरी ना,
तोहसे आनलाइन करब.........................


उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’

Saturday, December 12, 2015
Topic(s) of this poem: love
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