शिक्षा भइलीं सूचना क कारबार बलमा (भोजपुरी) Poem by Upendra Singh 'suman'

शिक्षा भइलीं सूचना क कारबार बलमा (भोजपुरी)

शिक्षा भइलीं सूचना क कारबार बलमा.
कईसे देबल जाई बचवन के संस्कार बलमा.

प्रीति-नीति से भइल दूर अब पढईया.
शिक्षा पे सवार भईलं शनी क अढ़ईया.
जीव क गार भइलीं रीति इ उधार बलमा
शिक्षा भइलीं सूचना क कारबार.............

कम्प्यूटर जी कक्षा में पाठ हो पढ़ावेलं.
नई-नई सूचना का बम हो बरसावेलं.
जानकारी क हउवं उ पारावार बलमा.
शिक्षा भइलीं सूचना क कारबार.............

बचवा हो जात हउवं आपन हो रोबोटवा.
दया धरम लज्जा क पड़ीं गईलं टोटवा.
इंशानियत हो गईल तार-तार बलमा.
शिक्षा भइलीं सूचना क कारबार.............

लईका टकसाल भईलं छापेलं रूपईया.
सदाचार भूलि गईल बढ़ल हो कमईया.
दिनवे में भईल अंधकार बलमा.
शिक्षा भइलीं सूचना क कारबार.............

शिक्षा का दूकान व्यापारी हो चलावेलं.
हानि-लाभ क जे हिसाब हो लगावेलं.
हो गईल ई व्यवस्था अब लाचार बलमा,
शिक्षा भइलीं सूचना क कारबार.............

Sunday, January 3, 2016
Topic(s) of this poem: education
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