एक रोज
एक त्रिकालदर्शी से मुलाकात हो गई,
बात से बात निकली तो
नेताओं के बारे में बात हो गई.
मैंने जिज्ञासा भाव से पूछा -
महात्मन्,
ये नेता किस मिट्टी के बने होते हैं?
कुछ मुझे भी समझाइये,
गागर में सागर उलीचते हुए
संक्षेप में ही बहुत कुछ बताइये.
त्रिकालदर्शी महोदय बोले -
जब कुंभकरण और रावण सरीखे
कई राक्षसराज मरते हैं
तो भगवान जी एक नेता गढ़ते हैं.
एक-एक नेता में कई-कई राक्षसों के गुण
विद्यमान होते हैं.
इसलिये नेता असाधारण रूप से
महान होते हैं.
हर एक नेता किसी एक राक्षस से
कई-कई गुना बलशाली होता है
और आदमियत से बिल्कुल खाली होता है.
यही वजह है कि जब नेता सोता है तो
वह कुंभरण से भी गहरी निद्रा में पड़ा होता
और जब जागता है तो
रावण से भी बहुत बड़ा होता है.
इसके कई हाथ और कई सिर होते हैं,
ज्यादातर हवा में होते हैं
पर इंसान की मानिंद दिखने हेतु
जो जरूरी होते हैं
वे शरीर के साथ स्थिर होते हैं.
नेताओं को आदमी कहना और समझना
हमारी इंशानी मजबूरी है,
लेकिन उनसे सजग रहना
और सुरक्षात्मक दूरी बनाए रखना
बेहद जरूरी है.
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