मन नहीं लागत Poem by Rinku Tiwari

मन नहीं लागत

मन नहीं लागत हैं कहीं पर ।
कृष्ण कहाँ गयो, बलराम कहाँ पर?
ग्वाल बाल दिखे नहीं, नहीं राधा यहाँ पर ।
गुलाल हाथ में लियो, खोजत हूँ जहँ-तहँ पर ।
कोई कहे देख यमुना, कोई कहे कदम डाल पर ।
कहे कोई वृंदावन में, कोई कहे छिपे घर पर ।
मन खोजत कृष्ण को जहाँ पर ।
मिले नाहि नंदन्दन वहाँ पर ।
तब खोजा मन में आपन श्याम को ।
पायो संग राधा खेलत होली कृष्ण को ।
मन लग गयो वहाँ पर ।

Sunday, April 17, 2016
Topic(s) of this poem: religion
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Rinku Tiwari

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