तेरे साथ मैं रहना चाहूँ... Poem by Kamal Mahar

तेरे साथ मैं रहना चाहूँ...

तेरी पलकें ना कभी भीगे
तेरा हर गम
मेरे आँसू बन जाए
चाहे सितारों में तेरे साथ ना रहूँ
पर तुझको जब अंधेरा घेरे
तेरे साथ मैं रहना चाहूँ...
जब तेरा दिल खुशी से झूमे
तेरे कदमों को दुनिया चूमे
उस पल में मैं चाहे ना रहूँ
पर तन्हाईयाँ जब तुझको घेरे
मैं साथ रहूँगा तेरे...
तेरी साँसों का साथ मैं होना चाहूँ
तेरी बातों की
हर बात मैं होना चाहूँ
तुझको ना हो कोई गम
तेरे हर गम की
सौगात मैं होना चाहूँ...

Tuesday, May 3, 2016
Topic(s) of this poem: love
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Kamal Mahar

Kamal Mahar

Sawai Madhopur
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