खाना खिलाती मिट्टी
जिंदा रखती हवा
प्यास बुझाता पानी
समय दुखकी दवा
जगह जगह डगरपर
जिंदगानी का जलवा
रोजीरोटीकी फिराकमे
निकलता है कारवाॅ
रातकी सिहाईमे
सपने होते है धुवा
निकलतेही दिन
फिर उम्मीद जवां
मंजिलोकी जुस्तजुमे
जिंदगी बनी जुवा
निचे झुकता है सिर
आती उपरसे दुवा!
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