मैं भी मुह में जुबां रखता हूँ
क़ाश तुम पूछो कि मुद्दा क्या है
ये कायदे क़ानून आएंगे अब तुम्हारी हिमायत करने
कोई जानता भी है कि मुद्दा क्या है
(dedicated to Ghalib Two Liners)
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