रोटी रोटी करता है हर गरीब का पेट Poem by Tarun Upadhyay

रोटी रोटी करता है हर गरीब का पेट

रोटी रोटी करता है हर गरीब का पेट
स्वाभिमान से नही भरता गरीब का पेट
ईमानदारी से नही भरता गरीब का पेट
सांतवना से नही भरता गरीब का पेट

एक रोटी मिल जाये अगर
पेट शायद उसका भर जाये
जीने की आस शायद
आज उसे फिर मिल जाये

पेट पर हाथ फेरता है
हर कोई खाने के बाद
गरीब पेट पकड कर सोता है
हर शाम ढल जाने के बाद

खा पी कर मस्त है
जनता हो नेता हो या अभिनेता
गरीब तो बस सोचता है
काश एक रोटी का इंतज़ाम कर लेता

चित्र मे दिखता है
लेखो मे नज़र आता है
कविता मे नज़र आता है
क्या गरीब का पेट इस से भर जाता है।
- - अज्ञात

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