तुझे तेरे होने की वजह बताएँगे
सुरमई आँखों की पोरो में
बादल के ओरो छोरों में
सावन के घुमड़ते यौवन
और बारिश के निहोरों में
उलझाकर के तुझे कभी सुलझाएंगे
जिंदगी!
तुझे......................................
अनजानी राहें भटकेंगे
खुश्बू खुश्बू बन बिखरेंगे
जितना हमें तपायेगी तू
घड़ी घड़ी उतना संवरेंगे
थके गले से भी तुझको ही गाएँगे
जिंदगी!
तुझे......................................
अपनों के आघात भी होंगे
गैरों के विश्वास भी होंगे
प्यार छूट जायेगा कोसों
हाँ, पीड़ा के पास भी होंगे
दर्द सजाकर होंठो में मुस्कायेंगे
जिंदगी!
तुझे......................................
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