स्वप्नों के अवशेष Poem by Kezia Kezia

स्वप्नों के अवशेष

कितने अवशेष स्वप्नों के बाकी हैं

अभी मस्तिष्क पटल पर

चिन्हो को पढ़ना चिन्हो को घिसना.

घिसकर कुछ चमकदार सा अलंकरण देना.

अवशेषों को धरा की सीमा में ही

विसर्जित कर देना

कई स्वप्नों को मरघट के

वातावरण से लाकर

नवीन उर्जा प्रवाहित कर

अवशेषों को पुनर्जीवित करना

फिर सुनहरे सपनों को उड़ान देकर

अनंत आकाश मे बहा देना

कितनी मनोहर होता है

उस उड़ान को एकटक देखना

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Tuesday, April 4, 2017
Topic(s) of this poem: philosophical
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