देर न हो जाए Poem by Jaideep Joshi

देर न हो जाए

कितना समय हुआ जब आपने अंतिम बार अनुभव किया?

श्वास में वायु का आनंद;
जल का जीवनदायिनी स्वाद;
आकाश में तारों का सौन्दर्य;
फूलों की पंखुड़ियों का रेशमी स्पर्श;
हवा में थिरकते पत्तों का मधुर गीत;
पक्षियों के कर्णप्रिय कलरव का संगीत;
वर्षा की प्रथम फुहार से तृप्त मिटटी के सौंधी सुगंध;
अपनी अंतरात्मा की आवाज़ की सच्चाई।

तो शीघ्र जीवन के इन अमूल्य उपहारों से
लाद दो स्वयं को;
कहीं देर न हो जाए!

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