कैफ़ियत Poem by Jaideep Joshi

कैफ़ियत

तेल की दरकार है न जुस्त्जु दियासलाई की,
शमा को उम्र मिलती है परवाने की आह से।

रंग से रौनक है न खुश्बू से है कशिश,
हुस्न है मयस्सर गुल को भंवरे की चाह से।

मौजों से शख्सियत है न तूफां से है पहचान,
समंदर की हैसियत है संजीदगी की थाह से।

अक्ल से रास्ता है न वास्ता है इल्म से,
मिलती है दिल को मंजिल दिल की राह से।

दौलत की फ़िक्र है न किसी रुतबे की है परवाह,
शायर की पूछो कैफ़ियत कद्रदानों की वाह से।

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success