अबीर उड़े, गुलाल उड़े, आशाओं की रंगोली है।
प्रेम रंग में जो रंग जाओ, तो मानो कि होली है।।
छेड़छाड़ है, हंसी हैं ताने, हास्य-विनोद, ठिठोली है।
वैर-द्वेष को फूंक जो डालो, तो मानो कि होली है।।
शोर-ओ-गुल है, कोलाहल है, हुडदंगों की टोली है।
बहे ह्रदय में स्नेह की धारा, तो मानो कि होली है।।
पंथ विविध, समुदाय विविध, बहु भाषा, बहु बोली है।
एक सूत्र में बंधें सभी जन, तो मानो कि होली है।।
शुभ कर्मों का सत्त्व-तिलक है, संबंधों की रोली है।
जीवन को रसमय कर डालो, तो मानो कि होली है।।
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excellent poem....bahut achche........