हैं कहानी सेठ की,
बड़ी हैरानी उनके वेट की।
दशहरा आया, गए खरीदारी करवाने।
सपेरे आया, गए हॉस्पिटल दवाई करवाने।।
बाजार गये सेठ जी,
जिनका था बड़ा सा पेट जी।
लिए हाथ में झोला,
जिसमे था बड़ा सा सपोला ।
लिये समोसा दुकान से,
दो किलो के दाम से,
फिर लिया चाट पकौड़ी,
जिसमे थी बड़ी कचौड़ी।
गये घर सेठ जी
जिनका था बड़ा सा पेट जी।
घर जाते ही खोला झोला,
जिसमे निकला बड़ा सपोला ।
नही देख पाए लालची सेठ साँप को,
दिखा केवल कचौड़ी पकौड़ी उनके आँख को।
खा लिया दसहरा में पेट भर,
खा लिए हॉस्पिटल जाने भर।
दिन रात का पहरा बिता,
मोटू सेठ का दसहरा बिता।
सेठजी कसम खाएंगे,
ये सब वे कम खाएंगे।
लेकिन आगली बार से
कचौड़ी पकौड़ी के बजाय केवल रबड़ी ही खाएंगे।
है कहानी सेठ की
बड़ी हैरानी उनके वेट की,
दसहरा आया, गए ख़रीदारी खरवाने।
शपोल आया, गए हॉस्पिटल दवाई कराने।
ब
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Very cute poem like you shipra ji