आज फिर दिल मेरा क्यों बेकरार हो रहा है Poem by Ahatisham Alam

आज फिर दिल मेरा क्यों बेकरार हो रहा है

आज फिर दिल मेरा क्यों बेकरार हो रहा है
एक मुद्दत से जिसकी तस्वीर इस दिल में बसा रखी थी
शायद उसी शख्सियत का दीदार हो रहा है।

Thursday, June 29, 2017
Topic(s) of this poem: love
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18.02.2008
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