उनकी आँखों में हमने Poem by Ahatisham Alam

उनकी आँखों में हमने

कोई अगर पूछेगा की क्या देखा है
तो कह दूंगा की....

पत्थरों के ढेर में नगीना देखा है
उनकी आँखों में हमने जीने का करीना देखा है।

तूफ़ान है, भंवर है, कश्ती है
उसको क्या परवाह जिसने उस हाल में भी सफीना देखा है।

एक समंदर है एक दरिया है एक क़तरा है
इश्क़ हर शय में है सहरा को कभी ना देखा है

Thursday, June 29, 2017
Topic(s) of this poem: spirituality
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01.11.2007
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