काश मुझे भी..... Poem by ROHIT CHATURVEDI

काश मुझे भी.....

काश मुझे भी परिंदों की मानिंद खुला आसमां मिल जाता,
और मंजिल तक साथ देने के लिए कोई हमराही मिल जाता,
किसी बादल के कोने में छोटा सा आशियाँ बनाते हम दोनों
काश मुझे भी ऐसा बेपरवाह मुक्कमल जहाँ मिल जाता,
गम का अँधेरा दूर करने के लिए इश्किया चिराग मिल जाता,
और हज़ारो ख्वाईशें पूरी करने के लिए भगवान मिल जाता,
किसी उम्मीद के आँचल से लिपटे बेफिक्र सो जाते हम दोनों
काश मुझे भी ऐसा बेपरवाह मुक्कमल जहाँ मिल जाता,
फासले जो होते दरमियाँ तो मिटाने के लिए वक़्त मिल जाता,
उनके साथ कुछ वक़्त बिताने के लिए ये कमबख्त मिल जाता
किसी वादे के साये में बिना शिकवे शिकायत के रहते हम दोनों
तो काश मुझे भी ख्वाबो में कोई ख्वाब मुकम्मल मिल जाता
तो काश मुझे भी फिर ऐसा बेपरवाह मुक्कमल जहाँ मिल जाता..............

COMMENTS OF THE POEM
Divya Gupta 13 August 2013

wah...kitni achi kavita likhi hai aapne...it touched me.... baht acha hai sir... please meri bhi poetry padhe....awaiting 4 ur response

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ROHIT CHATURVEDI

ROHIT CHATURVEDI

JAIPUR, RAJASTHAN
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