भावपूर्ण चेहरे पर मुस्कान लिए
आशीष देने को उठे कपकपाते हाथ,
स्पर्श करते हुए सिर को
सहलाने लगे प्यार से गाल,
आँखें उम्मीदों का सागर
डालने लगी टूटी हुई हिम्मत में भी जान,
पैर छूँ कर जैसे खड़ा हुआ
बोलीं रोशन करके आना इस घर का नाम।
आँखें उम्मीदों का सागर डालने लगी टूटी हुई हिम्मत में भी जान, पैर छूँ कर जैसे खड़ा हुआ बोलीं रोशन करके आना इस घर का नाम।.. ... great write. It is a beautiful poem on mothers love. Thanks for sharing...10
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माँ का सारा वजूद ही उसके बच्चों को समर्पित रहता है. माँ का होना बच्चों के लिए बहुत बड़ा संबल है. सुंदर कविता. धन्यवाद. आशीष देने को उठे कपकपाते हाथ, डालने लगी टूटी हुई हिम्मत में भी जान, बोलीं रोशन करके आना इस घर का नाम।