माँ एक प्रेरणा Poem by Larika Shakyawar

माँ एक प्रेरणा

Rating: 5.0

भावपूर्ण चेहरे पर मुस्कान लिए
आशीष​ देने को उठे कपकपाते हाथ,
स्पर्श करते हुए सिर को
सहलाने लगे प्यार से गाल,

आँखें उम्मीदों का सागर
डालने लगी टूटी हुई हिम्मत में भी जान,
पैर छूँ कर जैसे खड़ा हुआ
बोलीं रोशन करके आना इस घर का नाम।

Sunday, July 30, 2017
Topic(s) of this poem: mothers love
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 05 August 2017

माँ का सारा वजूद ही उसके बच्चों को समर्पित रहता है. माँ का होना बच्चों के लिए बहुत बड़ा संबल है. सुंदर कविता. धन्यवाद. आशीष​ देने को उठे कपकपाते हाथ, डालने लगी टूटी हुई हिम्मत में भी जान, बोलीं रोशन करके आना इस घर का नाम।

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Kumarmani Mahakul 30 July 2017

आँखें उम्मीदों का सागर डालने लगी टूटी हुई हिम्मत में भी जान, पैर छूँ कर जैसे खड़ा हुआ बोलीं रोशन करके आना इस घर का नाम।.. ... great write. It is a beautiful poem on mothers love. Thanks for sharing...10

2 0 Reply
Larika Shakyawar 31 July 2017

Thank you sir... Glad to know you like this poem

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Larika Shakyawar

Larika Shakyawar

Rajgarh M.P., India
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