कौन हूँ मैं क्या हूँ यही पुछना चाहती हूँ.......
कैसी हूँ इस बात को इतिहास के पन्नो से दोहराती हूँ.....
जरूरत के हिसाब से मुझे स्थान मिला, कभी द्रोपदी की तरह बांटी तो कभी लक्ष्मी की तरह पूजी जाती हूँ.....
कौन हूँ मैं क्या हूँ यही पुछना चाहती हूँ.......
कहीं फूल बनकर मस्तक पर, तो कहीं फूल बनकर ही पैरो से कुचली जाती हूँ......
कौन हूँ मैं क्या हूँ यही पुछना चाहती हूँ.......
चौदह साल का बनवास तो राम सिया दोनों ने काटा, फिर क्यूँ अग्निपरीक्षा के द्वारा मैं ही अपना चरित्र सिद्ध कर पति हूँ'.....
कौन हूँ मैं क्या हूँ यही पुछना चाहती हूँ.......
कहीं आँगन की तुलसीबन आँगन को महकातीमैं, फिर क्यूँ उसी आँगन का सामान समझ मैं ही बेची जाती हूँ....
कौन हूँ मैं क्या हूँ यही पुछना चाहती हूँ.......
वंश को आगे बढ़ाने का सर्वप्रथम दयातीत्व मुझे'मिला, फिर क्यू लड़की जान मैं कोख मे ही मार दी जाती हूँ......
कौन हूँ मैं क्या हूँ यही पुछना चाहती हूँ.......
पुरुष प्रधान इस देश मे पुरुषार्थ को महत्वमिला, फिर क्यूँ दो चक्कों की इस गाड़ी में इक चक्का मैं कहलाती हूँ....
कौन हूँ मैं क्या हूँ यही पुछना चाहती हूँ.......
कोमल, सहनशील, कली की तरह नाज़ुक सा समझा, फिर क्यूँ काली की तरह सशक्त, विनाशकाय मैं कहलाती हूँ..........
कौन हूँ मैं क्या हूँ यही पुछना चाहती हूँ.......
कैसी हूँ इस बात को इतिहास के पन्नो से दोहराती हूँ.....
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