RACHNA PAL

RACHNA PAL Poems

मैंने खुद को गुमशुदा करके देखा, उन गुमराह गलियों में...........................
बाद में खुद को ढूँढना मुश्किल था।
मैंने उड़ कर देखा, उन चिड़ियों की तरह......................................................
बाद में अपना घरौंदा ढूँढना ही मुश्किल था।
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कौन हूँ मैं क्या हूँ यही पुछना चाहती हूँ.......
कैसी हूँ इस बात को इतिहास के पन्नो से दोहराती हूँ.....
जरूरत के हिसाब से मुझे स्थान मिला, कभी द्रोपदी की तरह बांटी तो कभी लक्ष्मी की तरह पूजी जाती हूँ.....
कौन हूँ मैं क्या हूँ यही पुछना चाहती हूँ.......
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RACHNA PAL Biography

poetry lover.... being a free bird...)

The Best Poem Of RACHNA PAL

जरा मुश्किल था......

मैंने खुद को गुमशुदा करके देखा, उन गुमराह गलियों में...........................
बाद में खुद को ढूँढना मुश्किल था।
मैंने उड़ कर देखा, उन चिड़ियों की तरह......................................................
बाद में अपना घरौंदा ढूँढना ही मुश्किल था।
मैंने डूब कर देखा, उस समुन्द्र की गहराई में.................................................
बाद में किनारा कहाँ गया ये पहचानना मुश्किल था।
मैंने बदल कर देखा, खुद को इस दुनिया की तरह...........................................
बाद में अपना अस्तित्व ढूँढना ही मुश्किल था।
मैंने छूने की कोशिश की, उनचमकतें तारों को भी.................................................
पर उनकी चकाचौंध से लड़ पाना जरा मुश्किल था।

RACHNA PAL Comments

RACHNA PAL Quotes

कुछ तो अलग सा था उसमे....... सुखी पड़ी आँखों की इस बंजर जमीन को वो हमेशा के लिए बहती नदी सा बना गया।

RACHNA PAL Popularity

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