उम्मीद हूँ मैं Poem by Sahira Sargam

उम्मीद हूँ मैं

उम्मीद से मिलती हूँ मैं,
उम्मीद में चलती हूँ मैं,
उम्मीद मेरी राह है,
उम्मीद की राही हूँ मैं,
राह मेरी एक है,
उम्मीद है इसकी अनन्त,
मौज जैसी झूमती
इस राह में चलती हूँ मैं।
उम्मीद मेरी मर्ज है
उम्मीद इसकी औषधि,
उम्मीद मेरी आस है
उम्मीद की प्यासी हूँ मैं।
उम्मीद की इस राह में
काँटे, पत्थर जो मिले
काँटों को मैं सेज बना
पत्थर तोड़ती चलूँ मैं।
उम्मीद मेरी आरजू
उम्मीद में जीती हूँ मैं,
ओ जाने वाले तुझे
उम्मीद में देखूंगी मैं,
सुन लो मेरी आवाज ऐ
उम्मीदों की उम्मीद मैं

Tuesday, August 22, 2017
Topic(s) of this poem: life
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success