तुमको तन्हा करते हैं Poem by Lalit Kaira

तुमको तन्हा करते हैं

चलो ऐसा करते हैं
तुमको तन्हा करते हैं
वफ़ा करने की कह के
पता नहीं क्या करते हैं
गरीबों की थाली को
छुपा के रोया करते हैं
जनाजा निकला है देखो
कोई तमाशा करते हैं
तेरी आंखे पढ़ पढ़ के
नया किस्सा करते हैं
'ललित' देख कर जुगनू
सितारे रोया करते हैं

Thursday, December 7, 2017
Topic(s) of this poem: faith,life,loneliness,philosophy
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Lalit Kaira

Lalit Kaira

Binta, India
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