पहली मुहब्बत Poem by Sona Khajuria

पहली मुहब्बत

पहली मुहब्बत,
यारों बहुत खास होती है,

खुदाया मूरत एक शख्स की,
दिल में वास करती है,
तरंगों में बहती नौका से,
दिन और रात होती है,
गुजरती हुई हवा भी जैसे बातें करती हैं,
पहली मुहब्बत यारों बहुत खास होती है|

मचलती हैं आँखें दिदार को,
वेकरार ऐ सनम इकरार को,
इज़हारे रस्म करिनों में कई बार होती है,
पहली मुहब्बत यारों बहुत खास होती है|

Saturday, April 4, 2020
Topic(s) of this poem: emotions,feelings,love
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Sona Khajuria

Sona Khajuria

Jammu and kashmir
Close
Error Success