अगर तुम कहो Poem by Roshan Sangahi

अगर तुम कहो

अगर तुम कहो, तो पास आऊँ ।
अगर तुम कहो, तो दुर जाऊँ ।
कह दो बस की मुहब्बत हैं हमसे,
तो खुशबू बन कर,
तेरी सांसों में भी बिखर जाऊँ ।।
कोई कहता है, मुहब्बत दीवानगी हैं ।
कोई कहता है, मुहब्बत आवारगी है ।
जिसे मिला वो कहता है,
मुहब्बत खुदा है, जिंदगी हैं ।।
तुम्हे हमसे शिकायत है,
कि हमे प्यार करना नहीं आता ।
हमे तुमसे शिकायत है,
कि तुम्हे समझना नहीं आता ।
कहीं जिंदगी बीत न जाएं इसी कश्मकश में ।
तुम्हे बताना नहीं आता I!

अगर तुम कहो
Monday, January 8, 2018
Topic(s) of this poem: love and dreams
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