कोशिशें बारहा करते रहे हम Poem by Ahatisham Alam

कोशिशें बारहा करते रहे हम

वो बज़्मे इम्तेहान में तबादला-ए-ख़याल करना
छुपाकर सवालात को निगाहबानों से डरना
था अजब उनसे पूछना मेरा
और ना बताना उनका
कोशिशें बारहा करते रहे हम
पर ना छूट पाया याद आना उनका।

Wednesday, March 7, 2018
Topic(s) of this poem: love and art
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