तन्हा Poem by Anita Sharma

तन्हा

मेरा इम्तहान लेते गए
वो मुझे तन्हा कर गए
उनके पास वक़्त ही नहीं था हमारे लिए
हम भी तन्हाई से मोहब्बत करने लगे
वो प्रेमी वो हमसफ़र बस ख्यालों में था
दर्द ऐ तन्हाई में झोंका हवा का
देता है दस्तक ऐ दिल
कहीं वो लौट तो न आया

तन्हा
Wednesday, June 6, 2018
Topic(s) of this poem: him,lonely,sad love
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दर्द ऐ तन्हाई में झोंका हवा का
देता है दस्तक ऐ दिल
कहीं वो लौट तो न आया
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