आँखों के चिराग जलते रहेंगे
तुम्हारा इंतजार करते रहेंगे
कहीं भी रहो इस जहाँ में तुम
ख्वाबों में हर रात मिलते रहेंगे
मेरे होने का अहसास रखना
चमन में फूल खिलते रहेंगे
बीत जाएगा ये सफर जिंदगी का
याद में तेरी दिन रात गिनते रहेंगे
जख्मों पर मर्हम लगा लेना अब
वर्ना गम शूल की तरह चुभते रहेंगे
राज स्वामी
A yearning to meet again..a hope to be never forgotten..amazingly written..
Thank you so much Arushi ji Aap sabhi ka saneh mujhe parerit karta hai Agar aapke pass time ho to please meri or poem bhi padhiye or vote kijiye
Wishing you all the very best, Dear Friend. Please continue the work.
प्रिय राज जी, मैं क्षमा चाहता हूँ कि मेरी वजह से आपको तकलीफ़ हुयी.
नहीं सर ऐसी कोई बात ंंनहीं शुक्रिया ंंमार्ग-दर्शन करने के लिये वोट किजिये ंंमेरी इस शूल पोएम को
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'सूल' नामक कविता आप डिलीट कर सकते हैं. धन्यवाद, राज.
ऐसा क्यो आपको क्या कमी लगी शूल में हर कवि के अपने अपने विचार होते हैं और पूरी आजादी भी अपनी कलम चलाने की