फिर से शुरू करें Poem by Ahatisham Alam

फिर से शुरू करें

फिर से शुरू करें
सफ़र ज़िन्दगी का
बहुत दूर आने के बाद
ना वापस जाना मुमकिन है
ना आगे बढ़ने का रास्ता।
हम ठहर से गये हैं
और वो वक़्त की तरह बदलता
गुज़रता रहा।
हम बस यही सोचते रहे
फिर से शुरू करें
सफ़र ज़िन्दगी का...

Tuesday, December 25, 2018
Topic(s) of this poem: life,love
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COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 25 December 2018

मगर उम्मीद फिर से चलने का हौसला व हिम्मत देती है.

1 0 Reply
Rajnish Manga 25 December 2018

चलते चलते कभी ज़िन्दगी उस मुकाम पर ला कर खड़ा कर देती है जहां आदमी को कुछ सुझाई नहीं देता. इसे आपने बहुत खूबसूरती से दर्शाया है.

1 0 Reply
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