बचपन के दिन कभी वापस नही आते
हम बच्चे कभी रोते कभी गाते,
ओर बडो का क्या
वे गलती कर कर के सिख जाते ।
जिसने बचपन को मजे में जिया
उसने स्कूल होमवर्क कभी नही किया,
कभी खुद सीखते कभी दूसरों को सिखाते
कितना भी पैसा खर्च कर लो यारो बचपन क दिन कभी वापस नहीं आते ।।
कभी किसी को दुखी किया
ओर अपना आधा बचपन दर्द में जिया,
बचपन में लाखो जिम्मेदारियां नहीं होती
अपनी आधी नींदे सपनो में होती.
लाखो उम्मीदें माता पिता की होती हमारे साथ है
बचपन बिता सपनो में वाह वाह क्या बात हैं,
कुछ बच्चे बनते है माता पिता का सहारा
बहुत सुन्दर होता है देखने में वो नजारा ।
ये बचपन है अरमानो का
हम बच्चों की फरमानो का,
काश बडे हम बच्चो से कुछ सिख पाते
बचपन के दिन कभी वापस नही आते ।
कभी रोते कभी गाते
कभी दोस्तों को रुलाते,
फिर उन्हे ही मनाते
बचपन के दिन कभी वापस नहीं ।
याद आयेगी बचपन की प्यारी सी यादे
पापा से की हुई फरयादे
मम्मी की मार
इन्ही के बीच में दादी का दुलार ।
हम बच्चे कभी रोते कभी गाते
बचपन के दिन कभी वापस नहीं आते,
और जो इन्हे याद करते वो रोते नज़र आते
मगर बचपन के दिन कभी वापस नहीं आते ।।
Kya khub likha he mere दोस्त। Mere pass sabdh nhi taarif ke liye
Bahut khoob. Akash solanki. You may like to read my poem, Love And Iust. Thank you.
'hum bacche kabhiu rote kabhi gaate, bachpan ke din kabhi wapas nahi aate.' Bohut hi khoobsurat kavita hai Akash. Sachme bachpan ke din kavi wapas nahi aate... Sukhriya isse humse baat ne ke liye - :)
सच कहा आपने. बचपन के वो मजेदार दिन कभी वापस लौट कर नहीं आते. धन्यवाद, मित्र. ye bachpan he aarmano ka, hum baccho ki farmano ka,
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Good job akash. We need more poems from you ........😊😊😊