हमें हार मिली तुम्हें हार मिला Poem by Upendra Singh 'suman'

हमें हार मिली तुम्हें हार मिला

हमें हार मिली तुम्हें हार मिला
हमें हार मिली तुम्हें हार मिला।
'हथियार' नया उपहार मिला।
चाहो तो तुम अब रार करो
जी भर के अब तकरार करो।
फिर हम पर F I R करो
मौका है अब तो वार करो।
तुम्हें सरकारी अधिकार मिला
हमें हार मिली तुम्हें हार मिला।
हैं दशक कई इसके साखी
हम बने तुम्हारी बैशाखी।
तुम हम पे मलाई काट रहे
उपदेश भी हमको बाँट रहे।
हमको तो तुम्हारा भार मिला
हमें हार मिली तुम्हें हार मिला।
तुम शून्य अंक पा पदासीन
हम शत-प्रतिशत पा पदविहीन।
अरमान हमारे टूट रहे
साहिल से मज़े तुम लूट रहे।
हमको तो 'सुमन' मझधार मिला
तुम्हे हार मिली हमें हार मिला।

Saturday, September 22, 2018
Topic(s) of this poem: political
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