खेल अभी है बाकी...
खेल अभी है बाकी...
कैसे छोड़ गए तुम हाथी?
भूल हुई या? भूल गए तुम?
छोड़ गए तुम साथी? .....कैसे छोड़ गए तुम हाथी?
कहते थे तुम बात सही है
पर ये तो कोई बात नहीं है l
एक्ज़िट पहले मुँह छुपाके
रूठ के जाना ठीक नहीं हैं l
रोता गोली, कोमल भाभी
रोते सब संगाती.....कैसे छोड़ गए तुम हाथी?
सोनू सयानी, माधवी, भिड़े
पोपटलाल हुए चीड़ चीड़े,
रोशन रोशन छोटा गोगी
सबको एक बात ही पीडे:
‘तेल बहोत था ओर दिए में
कैसे जल गई बाती? '....... कैसे छोड़ गए तुम हाथी?
अंजलि भाभी, तारक महेता
जेठा दिखता शोक मे बहेता l
चंपक चाचा और टपू का
मुर्झा चेहरा साफ़ ये कहता:
‘छोड़ के कैसे तुम जा पाए
एक सुनी ना दया की? '.... कैसे छोड़ गए तुम हाथी?
अय्यर बोले इले इले
बबिताजी के होठ है सिले l
नटुकाका, बाघा, पिंकू
सदमे से हो गए है ढ़ीले l
गलती से मिस्टेक हुई क्या
बावरी सोच के थाकी..... कैसे छोड़ गए तुम हाथी?
असित जी हो गए है मौन,
पर 'Show must go on'.
चालू पांडे हो गए ठन्डे
सुन्दर पूछे कर के फॉन:
''बोलो अब्दुल, मुँह तो खोलो
कैसे चल बसे हाथी? ..... कैसे छोड़ गए डॉ. हाथी?
© देवांशु पटेल
शिकागो
July 9,2018
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A great tribute with great lines...very emotional...thanks for sharing