इतने क़ाबिल हैं कि Poem by Ahatisham Alam

इतने क़ाबिल हैं कि

इतने क़ाबिल हैं कि हर किसी पे इल्ज़ाम लगाना जानते हैं
कोई कामयाब दिखे तो महज़ पछताना जानते हैं
कभी ख़ुद से कुछ भी नही करना उनको
मुँह में निवाला मिल जाये तो खाना जानते हैं।

Sunday, January 13, 2019
Topic(s) of this poem: life
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