एक दिन मैंने चूहा पाला,
उसका नाम भालू रख डाला
मेरा भालू बड़ा ही नटखट,
दिनभर करता रहता खटपट
कभी पलंग के नीचे छिपता,
कभी दरवाजे के पीछे मिलता
कभी उछल कर फ्रिज़ के ऊपर,
कभी दुबक कर बस्ते के अंदर
मेरी नाक में दम कर डाला,
कैसा भालू मैंने पाला
खाकर आलू और बादाम,
बन गया एकदम मोटूराम
कुतर कुतर कर किया खराब,
मम्मी ने तब दिया जवाब
इस भालू को बाहर भगाओ,
वरना एक पिंजरा मँगवाओ
जल्दी से फिर पिंजरा आया,
भालू को उसमें बंद कर डाला
तब जाकर समझा ये बात,
चूहा पालना नहीं बस की बात
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