तुम तो हो सही। Poem by Ahatisham Alam

तुम तो हो सही।

कौन दर्द दे गया
सवाल है बस यही
हम ग़लत हैं क्या हुआ
तुम तो हो सही।

इश्क़के मक़ाम पर
साथ साथ चलना था
तुमको भी जलना था
हमको भी जलना था
राह तुमने चुनी नयी
आह तुमने चुनी नहीं
हम ग़लत हैं क्या हुआ
तुम तो हो सही।

ख़ैर ख़्वाह हैं मेरे
लोग अब भी बहुत
रंग सब बेरंग है
फूलों में ना ताज़गी
तुम हो साथ गर नहीं
कुछ भी तो बचा नहीं
हम ग़लत हैं क्या हुआ
तुम तो हो सही।

इश्क़ के मक़ाम पर
दर्द के इस गाम पर
मैं ही तन्हा चल पड़ा
तू मगर रहा खड़ा
राह पर चला नहीं
आग में जला नहीं
हम ग़लत हैं क्या हुआ
तुम तो हो सही।

Sunday, April 21, 2019
Topic(s) of this poem: love
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