Thursday, May 12, 2022

अपनी क़िस्मत को फिर बदल कर देखते हैं Comments

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अपनी क़िस्मत को फिर बदल कर देखते हैं
आओ मुहब्बत को एक बार संभल कर देखते हैं

चाँद तारे फूल शबनम सब रखते हैं एक तरफ
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Muhammad Asif Ali
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