माँ आपकी बहुत याद आती है
जब भी मैं पहले घबरा जाती थी, तो मां आप मुझे अपने गले लगा लेती थी,
अब जब भी मैं परेशान होती हूँ, तो अकेले एक कोने में बैठ के खूब सारा रो लेती हूँ,
माँ क्यों अपने मन की बात आप से नहीं कर पाती हूँ
माँ आपको गले लगाने का बहुत मन करता है | आपकी गोद पे अपना सर रखना चाहती हूँ,
माँ बहुत याद आता है वो पल जब मेरे सफल होने पर आपका दौड़ कर खुशी से गले लगाना ।
बहुत याद आता है, माँ आपका शिक्षक बनकर नई-नई बातें सिखाना अपना अनोखा ज्ञान देना ।
माँ बहुत याद आता है कभी दोस्त बन कर हँसी मजाक करना,
मेरे पागलपन के साथ और मेरे खुशियों के साथ शामिल होना,
माँ बहुत याद आता है, मेरी खामोशी को समझ लेना और आप मुझ से पूछते थे कि तुझे क्या हुआ है?
माँ बहुत याद आता है, कभी गुस्से से डाँट कर चुपके से पुकारना फिर सिर पर अपना स्नेह भरा हाथ फेरना ।
माँ मैंबहुत अकेली सी हो गई हूँ इस दुनिया की भीड़ में, आप फिर से मुझे अपनी दुनिया में वापस बुला लो,
वो अपना ममता का साया वो स्नेह भरा प्रेम मुझे दे दो...
एक बेटी को अपनी मां के स्वरुप में बहुत कुछ सहज ही मिल जाता है- एक साथी, एक सहेली, एक गुरू, एक सहारा तथा और भी बहुत कुछ जिसे पाकर वह स्वयं को धन्य समझती है. लेकिन अपनी मां से जुदा हो कर वह खुद को एकाकी महसूस करती है और उस खालीपन से उबर नहीं पाती. मां के प्रति बेटी के सूक्ष्मतम भावों को समेटे इस रचना के लिए धन्यवाद व बधाई, अनु जी.
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
thank you