तुम्हीं तुम हो Poem by Vishnu Pandit

तुम्हीं तुम हो

उस खुदा से मेरी
तुम्ही रज़ा हो, हर आरज़ू तुम हो
मेरा हर गम बस तुम्ही तक, मेरी हर ख़ुशी तुम्ही हो
मेरे साथ चलना, मेरा साथ देना, मेरी कश्ती तुम्ही हो.

वक़्त ने छीने अपने बहुत, और कई आरमान मेरे
उन साबका लौटाया हुआ..
सिला तुम हो, महफिल तुम्ही हो
बस मुझे ही देखो, मुझे ही सोचो, मेरा साहिल तुम्हीं हो.

थे गम के बादल फलक पर और हवा तन्हाई सी सर्द
मिटाया जिसने ये
अंधेरा वो तुम्हीं हो, प्यार की बारिश तुम्हीं हो
खुद जलकर राह दिखाए जो, मेरा वो आफताब तुम्हीं हो

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Vishnu Pandit

Vishnu Pandit

Nanital, India
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