नसीब Poem by Neelkamal Vaishnaw

नसीब

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वो मौसम वो बहार उसके सामने सब कम थी,
साथ गुज़ारा हुआ वक्त वो फिजा सब कम थी,
दूर तो आखिर तुम्हे होना ही था ऐ 'अनिश',
क्योंकि इन हाथों में मुहब्बत कि लकीरें जो कम थी...

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