दार्शनिकता Poem by Lalit Kaira

दार्शनिकता

प्रेम एकमात्र मार्ग है
उस विषाद से दूर रहने का
जिसे 'उसने' पैदा किया है
और एक रोग हमें दिया है
दार्शनिकता नाम का
अपनी तुच्छ मनुष्यता को
उठाने का
समतुल्य स्रष्टा के
जिसे हमने अपने हाथों से बनाया है।

Thursday, July 17, 2014
Topic(s) of this poem: love
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Lalit Kaira

Lalit Kaira

Binta, India
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